Tuesday, 22 May 2012


संकट मोचन तू कॆहलाये
राम बिना तुझे कुछ् न भाये
तेरा द्वार् जो भी खट् काये
बिन् कुछ् पाये घर् नही जाये

दुर्बल् को बलवान् बनाये
हर् संकट् पल् मे टल् जाये
तेरा गान् करे जो कोयी
उसे न कोयी विपदा होयी

हर् मुष्किल् आसान् तु कर् दे
भक्तजनों के दुःख् तू हर् ले
मन् के अंधियारों को मिटा के
भवसागर् से पार् करादे

सच्चिदानंद हे प्रिय हनुमान्
दूर् करो मेरा अज्ञान्
थका बहुत् जीवन् चक्कर् से
कृपा निधान् दो निर्वाण्



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