Tuesday 22 May 2012


जय जय कपीश अंजनी सुत हनुमान की . रघुवर के दुलारे सखा जय हनुमान की .
श्री विष्णु तो लक्क्ष्मी संग हंय क्षीर्सिन्धु में .धरणी पे तेरी लीला जयहनुमान की .
तुमने तो जानकी की थी वेदना हरी . संकट मेरा भी हर लो जय हनुमान की .
एक मुस्टिका से तेरी रावण था मूर्छित . तेरे बल से असुर काँपे जय हनुमान की .
जो क्र्स्न है राधा का वोही सीता का है राम .



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